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धान की बुवाई किस प्रकार होती हैं।

भारत के देहाती क्षेत्रों में धान की खेती

  1. सर्वप्रथम लोग छोटे खेतों में बोरवेल से पानी चला कर मिट्टी को मुलायम बनाते हैं।
  2. फिर उसमें धान के बीज जिसे पहले से ही फुला कर या भींगो कर रखे रहते हैं। उसमें छिट देते हैं।
  3. अब बीज जमने लगे हैं। उसमें पानी की कमी नहीं होनी चाहिए।हमेशा नमी बनी रहनी चाहिए।
  4. अब करीब 1 माह से 40 दिनों में बीज बढ़कर 10 से 15 इंच के हो गए हैं। उसे मजदूर इनको बनिहार कहा जाता है। उसे उखाड़कर मूठो में बांध देते हैं।
  5. फिर उसे दूसरे बड़े खेतों में ले जाया जाता है इन खेतों को भी पानी चला कर ट्रैक्टर में हल और हेंगा बांध कर चलाया जाता है। जिससे मिट्टी महीना हो जाए।
  6. इन बीजों को बनिहार औरते एक-एक कर रोक देती हैं। लगा देत हैं।उसमें खाद डाला जाता है।


  7. अब इन खेतों की नमी नहीं जानी चाहिए इसलिए लोग लगातार 4 से 5 दिनों में बोरवेल द्वारा पानी भर देते हैं। इन दिनों बारिश भी हो जाया करती है।
  8. लगभग 4 महीनों के अथक प्रयास से अब धान के बाल लग गए हैं।कुछ दिनों में इन्हें काटा जाएगा।

  9. इन फसलों को बनिहार काटते हैं। और इसके बोझा बांधते हैं। इसे एक जगह इकट्ठा करके उसे पीट लिया जाता है। और धान इकट्ठा हो गया है।
  10. फिर धान को राइस मिल में डाला जाता है। जो धान के छिलके हटा देती है। अब चावल निकल आया है। उसे कुछ रखकर बाकी बाजार में बेच दिया जाएगा।
गंगा की उत्पत्ति कहां से हुई है  https://samajik-centre.blogspot.com/2021/12/ganga-ki-utpati.html?m=1


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