भाषा का चरित्र
भाषा का चरित्र ऐसा है की भावों को दूसरे से व्यक्त करने के लिए भाषा का प्रयोग किया जाता है। भाषा का चरित्र इतना खूबसूरत है कि इसके लालित्य और मधुरिमा का वर्णन कर पाना बहुत कठिन है। तभी तो हम अपने मधुर वर्णों की सहायता से किसी का भी दिल जीत लेते हैं।वह हमारा कायल हो जाता है। वहीं इसकी कठोरता भी ऐसी है कि क्या कहें ऐसे कुछ शब्द भी होते हैं जिनसे लोगों का हृदय घायल हो जाता है।बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं। देख लीजिए आज के जमाने में लोग ऐसे कठोर शब्दों का प्रयोग कर देते हैं।जिसके कारण विपक्षी उसकी हत्या तक कर देता है। वहीं कुछ लोग ऐसे मधुर वचन कह जाते हैं कि उनके इन वचनों से ही लोग उन्हें जीवन भर याद रखते हैं हमें ऐसा मधुर वचन का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि मधुर वचनों से ही लोग महान बनते हैं उदाहरण के लिए गांधी जी को या महात्मा बुद्ध या स्वामी दयानंद सरस्वती को ही ले लीजिए इनके महान होने के कारणों में से यह कारण भी एक है।
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1 टिप्पणियाँ
Abhimanyu Prajapati
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