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भक्ति क्या होती है। विस्तार से-

भक्ति क्या होती है। विस्तार से-





भक्ति का मतलब है समर्पण यानि की जब कोई भक्ति करता है। तो वह पूरी श्रद्धा से उसके प्रति  समर्पित हो जाता है। वह बिना कुछ सोचे उसके अनुसार चलता है एक उदाहरण से समझते है । 
भक्ति को दर्शाते हुए सूर्य को प्रणाम करता हुआ बालक


आंध्र प्रदेश के एक गुरुकुल में एक लड़का रहता था वह थोड़ा बुद्धु किशम का था (लोगो के अनुसार) वह कुछ भी करने से पहले कुछ सोचता नहीं था बस करता।एक दिन उसके गुरु को कही समाहरोह मे जाना  था तो वह नदी के किनारे गए जमीन गीली थी तो गुरु ने उसी शिष्य बुला कर कहा यह कपड़े पकड़ो इसे जमीन पर मत रखना गुरु जी नहाने चले गये । थोड़ी देर बाद उसे लगा की गुरु जी बुला रहे हैं। तो कपडे बिना कुछ सोचे जमीन पर रख दिए और दौड़ कर गुरु जी के पास चला गया | गुरु जी ने कहा मैंने कहाँ था की कपडे नीचे मत रखना तुमरा कुछ नही हो सकता गुरू जी जल्दी मे थे तो उन्होंने एक चाक उसको दिया कहा तुम इस पत्थर पर राम-राम लिखो और चले गए शाम को जब गुरु जी वापस लौटे तो उनको सबसे पहले उसी शिष्य की याद आयी क्योंकि उन्होने व उसको डाटा था। तो गुरू जी पूरे आश्रम में उसे ढूंढने लगे । लेकिन वह नहीं मिला तो उनको याद आया  कि उसे राम - राम लिखने के लिए कहा था और उसके बाद कोई निर्देश नही दिये तो वह वही होगा । तो गुरु जी वही गये । वह लडका वही था और राम-राम लिख रहा था। चाक बहुत पहले खत्म चुका था अंगूठा आधा घिस चुका था। अंगूठे के बगल की  उंगली भी घिस चुकी थी गुरू जी ने बड़े प्यार से उसे गोद में उठा लिया और वह तब से प्रसिद्ध हो गया उसका नाम हमे नही मालूम है लेकिन लोग उसे वेमना बुलाते थे | उन्होंने हजारो कविताएँ लिखी उनकी कविताए आज भी सुप्रसिद्ध हैं। आज आध्र प्रदेश के लगभग सभी घरो मे उनकी कविता जरूर मिल जायेगी। भक्ति यह होती जिसमे अपना कोई शुद्ध नहीं होता हैं।





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